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मेरी कल्पना आज जिंदगी के चौराहे पर कल्पना नजर आईं अल्साई सी, अल्हड़ सी, मुझे देख मुसकाई मैंने उसे देख पूछा, इतने दिनों कहां थी भाई? झुका के नजरें बोली, यहीं ...