मेरी कल्पना

1 Part

308 times read

19 Liked

मेरी कल्पना आज जिंदगी के चौराहे पर कल्पना नजर आईं अल्साई सी, अल्हड़ सी, मुझे देख मुसकाई मैंने उसे देख पूछा, इतने दिनों कहां थी भाई? झुका के नजरें बोली, यहीं ...

×