लेखनी कहानी -15-Apr-2022 मालपुए का झाड़

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मालपुए का झाड़  सरपंच साहब की हवेली पर शाम को खूब "हथाई" हुआ करती थी । ग्राम सेवक जी, पटवारी जी, मास्टर जी और रिटायर्ड थानेदार जी की महफिल जमती थी ...

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