काजर की कोठरी--आचार्य देवकीनंदन खत्री

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... इस बात का जवाब तो लालसिंह ने कुछ न दिया मगर सूरजसिंह का पंजा, उम्मीद-भरी खुशी और मुहब्बत से पकड़ के बोला, ‘मेरे मेहरबान सूरजसिंह जी! आज आपका आना मेरे ...

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