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मेरे मीत , कैसे सुनाऊँ प्रेम गीत ! उद्विग्न प्राण चतुर्दिक तम मेरे हिय का भाव विषम , ज्यों रिसता है गागर से नीर , यों जीवन रहा है रीत । ...