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#लेखनी दैनिक काव्य प्रति सब तरकीबें हुई नाकाम कोई बहाना काम न आया वो ऐसे हुए नाराज़ कि मनाना काम न आया, छुड़ा कर हाथ, हाथों से चले गए वो, न ...