रामचरितमानस मानस का एक दोहा है प्रनवउँ पवन कुमार,खल वन पावक ज्ञान घन । जासु हृदय आगार , बसहिं राम सर चाँप धरि ।। तुलसीदास जी कहते हैं कि उस पवन ...

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