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बड़ी विस्तृत है कवि की कल्पना की उड़ान शब्दों में जिसको मुश्किल है देना सम्मान कल्पना और यथार्थ का बेजोड़ समन्वय जगा समाज को करता कर्म में तन्मय। सामने हो चाहें ...