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मैं थी एक मासूम-सी गुड़िया नौ माह माँ की कोख में पली आँखों में बसे थे अनेक सपने आऊँगी बाहर मिलेंगे अपने। मासूमियत का पिटारा लेकर भीतरी दुनिया को अलविदा कर ...