प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... गौस खाँ को जब मालूम हुआ कि गाँव के लोग तालाब के तट पर जमा हैं तो वह भी लपके हुए आ पहुँचे और गरजकर बोले, खबरदार! कोई तालाब की ...

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