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गीत प्रीत में जो समर्पण किया है प्रिये, वो कभी भी भुलाना है मुमकिन नहीं। अपना उर तुमने अर्पण किया है प्रिये, अब तुम्हें आजमाना है मुमकिन नहीं।। मेरे मन ने ...