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प्रतियोगिता हेतु दोहा भटकाते हैं राह से,मन में भरे विकार। मन पर अंकुश राखिए, गुण गावे संसार।। कभी न पूरी कर सके, कोई मन की चाह। सागर की मिल जाए पर, ...