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रचयिता-प्रियंका भूतड़ा शीर्षक-भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार वह आचार है, जिसे खाने को सब है बेकरार। यह कलयुग का संसार है, जिसमें भरा है भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार में नेता नहीं है पीछे एक टेबल के ...