प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... मनोहर ऐसे उद्दीप्त उत्साह से अपने काम में दत्तचित्त था मानो उसकी युवावस्था का विकास हो गया है। धान के पोलों के ढेर लगते जाते थे। न आगे ताकता था, ...

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