प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... खेत में पहुँचकर दोनों मचान पर लेटे। अमावस की रात थी। आकाश पर कुछ बादल भी आये थे। चारों ओर घोर अन्धकार छाया हुआ था। मनोहर तो लेटते ही खर्राटे ...

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