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कुछ ख्याल,रात भर बैठे हैं सिरहाने में कुछ शक है,मुसलसल ज़हन में, कुछ सवाल अब हैं ज़माने में हौसले मगर, तेरे कमज़ोर क्यों है। क्या बहादुरी है, सपनों से रूठ जाने ...