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गीत प्रीत पंथ पर चलने वाला, मैं पागल आवारा हूँ। चोटिल हृदय लिए फिरता हूँ, मैं घायल आवारा हूँ।। लगा टकटकी मुझे निहारे, धरा बहुत ही प्यासी थी। मन ही मन ...