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सुनो... गुलजार साहब की दो लाइन.. "गुजरने ना दूंगा वो रात मैं घड़ी पर रख दूंगा हाथ मैं.." चांद मिले न मिले बस जिंदगी साथ में हैं. उसी नदी के किनारे ...