सँध्या बेला का एकाकीपन

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सँध्या बेला का एकाकीपन संध्या बेला है जीवन की, मन जाने क्यों हुआ अधीर। मन आकुलता से भरा हुआ, सूनी आंखों में समाई पीर। कोलाहल सारा जीवन का, हो गया मौन ...

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