प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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धीरे-धीरे जेठ भी गुजरा, लेकिन लगान की एक कौड़ी न वसूल हुई। खेत में अनाज होता तो कोई न कोई महाजन खड़ा हो जाता, लेकिन सूखी खेती को कौन पूछता है? ...

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