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कान्हा का कान यशोदा ने हैं ऐंठा, नंदलाला मुस्काता सा है बैठा| थोड़ा वो झिलाए,थोड़ा खिझाए, मैय्या को वह तो रिझाए | कहता है मैय्या कान मेरा छोड़ो, तुम गोपियों को ...