प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... लेकिन जिस प्रकार विजयी सेना शत्रुदल को मैदान से हटा कर और भी उत्साहित हो जाती है और शत्रु को इतना निर्बल और अपंग बना देती है कि फिर उसके ...

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