प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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.... वह इन विचारों में मग्न थे कि प्रियनाथ आ गये और बोले, आप इस समय बहुत चिन्तित मालूम होते हैं। थोड़ी-सी चाय पी लीजिए, चित्त प्रसन्न हो जायें। प्रेमशंकर– जी ...

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