तुम्हारा प्रत्येक शब्द ......

1 Part

239 times read

1 Liked

तुम्हारा प्रत्येक शब्द मुझे करता गया निःशब्द झरते रहे नयनों से अश्रु मैं रह गई स्तब्ध सुन कर तुम्हारी व्यथा कथा लगा ये कैसा है प्रारब्ध हाय रे मानव की नियति ...

×