लेखनी कहानी -28-Apr-2022

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सबसे जुदा सोच है मेरी, मैं ख़ुशी और ग़म के हिसाब नहीं रखता, मेरा धर्म तो प्रेम है, इसलिए धर्म की कोई क़िताब नहीं रखता, कांटों से नाता रहा है आज ...

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