प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... वह इन्हीं विचारों में मग्न थी कि उसके कानों में गायत्री के गाने की आवाज आयी। वह वीणा पर सूरदास का एक पद गा रही थी। राग इतना सुमधुर और ...

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