प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... ज्ञानशंकर ने और सरोष हो कर कहा– तुम्हारे यहाँ आने की कोई जरूरत नहीं और तुम्हारा कल्याण इसी में है कि तुम इसी दम यहाँ से चली जाओ नहीं तो ...

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