प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... इन क्षोभयुक्त विचारों ने ज्ञानशंकर के हृदय को मसोमा कि उनकी आँखें भर आयीं। वह कुर्सी पर बैठ गये और दीवार की तरफ मुँह फेर कर रोने लगे। अपनी विवशता ...

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