प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

199 Part

147 times read

1 Liked

थोड़ी देर तक विद्या मूर्च्छित दशा में पड़ी रही। श्रद्धा उसका सिर गोद में लिये बैठी रोती रही। मैं अपने को ही अभागिनी समझती थी। इस दुखिया की विपत्ति और भी ...

Chapter

×