प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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.... ज्ञानशंकर सन्नाटे में आ गये, समझ गये कि मैं इसकी आँखों में उससे कहीं ज्यादा गिर गया हूँ जितना मैं समझता हूँ। बगलें झाँकते हुए बोले– मेरा अनुमान था कि ...

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