जिंदगी को रोज़ घूँट-घूँट कर पीतें हैं हम ओपन माईक प्रतियोगितालेखनी कविता -29-Apr-2022

1 Part

360 times read

13 Liked

जिंदगी को रोज़ घूँट-घूँट कर  पीते हैं हम,,,,,,,,,, अपने गमों को रोज सीते है हम कैसे बताए तुम्हें, कैसे जीतें है हम किस्मत से भी एकदम रीतें है हम चेहरे पर ...

×