लेखनी प्रतियोगिता -30-Apr-2022

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नींद  धरा हो शांत तारामंडल को निहार रही चाँद भी धीरे से मुखडा अपना दिखा रहा निशा ने ओढ़ ली चादर घने अंधेरे की हर नर देखो निद्रा के वशीभूत हो ...

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