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हंसना मना है विधा कविता मोबाइल टीवी चलाओ चाहे कूलर की हवा खाओ बाहर धूप में मत जाओ सच कहता हूं मान जाओ हजारों बीमारियां है वातावरण कुछ ऐसा बना है ...