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कुछ कहूँ या न कहूँ या फिर ये मुद्दा छोड़ दूं कुछ लिखूं पर क्या लिखूं या फिर कलम को तोड़ दूं या प्रभु की सृष्टि के अद्भुत नजारों को लिखूं ...