लेखनी प्रतियोगिता नए सवेरे

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नए सवेरे तूफान में फंसी है, नाव ये मेरी, पता नही कब और कैसे लगेगी किनारे, दिखता है चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा, ना जाने कब होंगे नसीब उजियारे, बहुत संभाला ...

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