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देह का हर कण समर्पित जन्म का हर क्षण समर्पित इस धरा से उस गगन तक मैं तुम्हारा साथ दूंगी मैं तुम्हारी थी, तुम्हारी हूँ, तुम्हारी ही रहूंगी। क्यों दुखित हो ...