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आज कलम लिखने तैयार नही स्त्री की बेबसी रोते रोते आज कलम ने कुछ आँसू टपकाये हैं रोते रोते अंतर्मन ने फिर से प्रश्न उठाये हैं मूल कहाँ है अपराधों ...