चरित्र!

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चरित्र, पटल पर चित्र बड़ा, श्वेत निराकार कालिख जो स्याह पुती, खुले न पट सार। चरित्र ही धन सबसे बड़ा, जीवन का आधार भूख प्यास से भी अधिक चिंता, सतत अभिसार। ...

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