हास्य व्यथा

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  सबसे पहले गणेश मनाऊँ, फिर सरस्वती माँ को ध्याऊं, शेष, महेश,  दिनेश नमन कर  सबको अपनी व्यथा सुनाऊँ। एक समय की बात है, विपदा पड़ गई भारी मन मयूर था ...

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