तेरा नाम

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ऐसा क्या लिखूँ कि  नाम तेरा  न  आए उसमें  ऐसी रचना ही नही कहीं जिक्र तेरा न हो जिसमें  कहते हैं लोग कि बिन तेरे और भी लोग हैं जहाँ में  ...

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