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रचयिता- प्रियंका भूतड़ा शीर्षक-तलाक "तलाक" एक ऐसा शब्द वाणी को कर देता स्तबभ शरीर बन जाता स्तंभ माला में पिरोये ही रखी थी मैं आज तोड़ दिया तूने यह धागा बिखर ...