हत्या हत्या का ये सिलसिला कब से जारी है रोज रोज दिल की कितनी हसरतें हमने मारी हैं। हर सुबह नए ख्वाब नई उम्मीदें जन्म लेती हैं शाम होने तक जिंदगी ...

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