"स्वयं को इतना कष्ट क्यों दे रहे हो पुत्र!" दूर घने अंधेरे से आवाज आई। वहां दूर-दूर तक किसी प्राणी का कोई नामोनिशान तक न था। "अपनी नियति को स्वीकार करो। ...

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