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अधूरी दास्तां रात का दूसरा पहर चल रहा था। हर तरफ गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था। रोशनी के लिए रास्ते के किनारे लगे खंभों पर लाइटें जल रही थी। सर्द रात ...