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प्रतियोगिता हेतु मुक्तक तूफानों से अरमां पाले, बहुत तेज ये चलते हैं। आज इसे कल उसे निहारें,सज कर रोज निकलते हैं।। पहलू बदल रहे हैं जैसे कपड़े बदले अभिनेता। कलयुग की ...