घण्टियाँ (प्रेरक लघुकथाएं)

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“कुछ भी कहो, गलत तरीकों से इकट्ठा किया गया रुपया फलता नहीं हैं।” महेन्द्र ने अपना मग बियर से भरते हुए कहा। “बेकार की बात है,” रतन ने कहा, “आज ऐसे ...

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