प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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... प्रेम– यह सुन कर मुझे बड़ी खुशी हुई कि तुम लोग भी चार पैसे के आदमी हो गये। यह सब तुम्हारे सुविचार का फल है। लेकिन मेरा काम इतने रुपये ...

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