प्रेमाश्रम--मुंशी प्रेमचंद

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.... मायाशंकर का कसूर नहीं, प्रेमशंकर को दोष नहीं, यह सब मेरे प्रारब्ध की कूटलीला है। मैं समझता था मैं स्वयं अपना विधाता हूँ। विद्वानों ने भी ऐसा कहा है; पर ...

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