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धूप पड़ी जब आधुनिक हीर पर, तो गर्मी से पिघल गया हर श्रृंगार। उसको बिना मेकअप के देख कर, राँझा डरकर निकल गया हरिद्वार। आज की सोहनी महिवाल को छोड़ हो ...