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अब इश्क़ की गुलामी मंजूर नही है। अब इश्क़ का गुलाब अच्छा लगता है।। तन्हा होकर दूर रहु तो ख़्वाब अच्छा लगता है। पास होकर मिल न पाऊ तो तन्हा अच्छा ...