166 Part
195 times read
1 Liked
पिता की मृत्यु और मेरी दोहरी शरम उस समय मैं सोलह वर्ष का था। हम ऊपर देख चुके हैं कि पिताजी भगन्दर की बीमारी से कारण बिल्कुल शय्यावश थे। उनकी सेवा ...